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उपवास एक आस्था

“उपवास , FASTING”

उपवास ,FASTING Meaning : 

उपवास ,FASTING का अर्थ है स्वेच्छा से भोजन, पेय, या अन्य भौतिक सुख-सुविधाओं से अस्थायी रूप से वंचित रहना। यह प्रक्रिया विभिन्न धार्मिक, आध्यात्मिक, स्वास्थ्य, या व्यक्तिगत कारणों से अपनाई जाती है। उपवास का उद्देश्य व्यक्ति के आंतरिक अनुशासन को बढ़ावा देना, आत्म-शुद्धि, ध्यान, और आत्म-नियंत्रण को प्रोत्साहित करना है। यहाँ उपवास के विभिन्न पहलुओं का विस्तार से वर्णन किया गया है:

उपवास के विभिन्न रूप और उद्देश्य होते हैं, लेकिन सभी में एक सामान्य विचार यह है कि यह आत्म-नियंत्रण, आत्म-शुद्धि, और व्यक्तिगत विकास के लिए किया जाता है। उपवास के माध्यम से लोग अपने जीवन को सरल, अनुशासित, और अर्थपूर्ण बनाने का प्रयास करते हैं।

 

SCIENTIFIC REASON BEHIND FASTING ,उपवास के पीछे वैज्ञानिक कारण :

उपवास, FASTING  के पीछे वैज्ञानिक कारण विभिन्न शारीरिक और जैविक प्रभावों पर आधारित होते हैं। उपवास से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण वैज्ञानिक पहलुओं का वर्णन नीचे किया गया है:

METABOLIC HEALTH :

उपवास के दौरान, शरीर ग्लाइकोजन के रूप में संचित कार्बोहाइड्रेट का उपयोग करता है और फिर वसा को ऊर्जा के लिए तोड़ता है। यह “केटोसिस” की स्थिति पैदा कर सकता है, जो वसा को प्राथमिक ऊर्जा स्रोत के रूप में उपयोग करने के लिए शरीर को प्रेरित करता है। यह मेटाबोलिक दर को सुधारने और वजन को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

INSULIN SESITIVITY :

उपवास इंसुलिन के स्तर को स्थिर करने और इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाने में मदद कर सकता है। यह प्रभाव टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को कम करने और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है।

CELLULLAR REPAIR AND AUTOPHAGY :

उपवास के दौरान, शरीर ऑटोफैगी की प्रक्रिया को बढ़ाता है, जो कि सेलुलर मरम्मत और मृत या क्षतिग्रस्त कोशिकाओं के हटाने से संबंधित है। यह प्रक्रिया शरीर को डिटॉक्स करने और स्वस्थ रहने में मदद करती है।

– **भ्रष्ट तनाव**: उपवास के दौरान, शरीर में कुछ हद तक ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ सकता है, जो कि कोशिकाओं को अधिक प्रतिरोधी और लचीला बनाने के लिए सकारात्मक प्रभाव डाANDलता है। यह प्रक्रिया शरीर को विभिन्न प्रकार के तनाव से निपटने के लिए सक्षम बनाती है।

– **हृदय स्वास्थ्य**: उपवास से रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर में सुधार हो सकता है, जो हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, उपवास एचडीएल (अच्छे कोलेस्ट्रॉल) के स्तर को बढ़ा सकता है, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।

– **मस्तिष्क स्वास्थ्य**: उपवास से मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर में सुधार हो सकता है, जो मानसिक स्पष्टता और ध्यान को बढ़ावा देता है। इसके अलावा, उपवास से मस्तिष्क में न्यूरॉन्स के विकास को प्रोत्साहित करने वाले कारकों का उत्पादन बढ़ सकता है, जो कि न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों के जोखिम को कम कर सकता है।

इन सभी वैज्ञानिक कारणों से उपवास को एक स्वस्थ और प्रभावी अभ्यास के रूप में देखा जाता है। हालांकि, उपवास का पालन करने से पहले, यह महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति और चिकित्सीय परामर्श के आधार पर निर्णय लें, क्योंकि उपवास हर व्यक्ति के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है।

आध्यात्मिक उद्देश्य के अनुसार उपवास , FASTING :

आध्यात्मिक उद्देश्य के अनुसार उपवास , FASTING  का अर्थ यह है कि व्यक्ति अपने आध्यात्मिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए भोजन या अन्य भौतिक सुख-सुविधाओं से अस्थायी रूप से वंचित रहता है। उपवास आम तौर पर ध्यान, प्रार्थना, आत्म-अनुशासन, और आत्म-शुद्धि के लिए किया जाता है। यह आत्म-नियंत्रण, ईश्वर या उच्चतर शक्ति के प्रति समर्पण, और आध्यात्मिक प्रगति की दिशा में एक कदम माना जाता है। विभिन्न धर्मों और आध्यात्मिक परंपराओं में उपवास के विभिन्न रूप और उद्देश्य होते हैं, लेकिन सभी में यह आत्मा को शुद्ध करने और ईश्वर के निकटता प्राप्त करने का एक साधन होता है।

विभिन्न धर्मों के अनुसार उपवास , FASTING : 

विभिन्न धर्मों के अनुसार उपवास , FASTING  का अर्थ और उद्देश्य अलग-अलग हो सकता है। यहाँ कुछ प्रमुख धर्मों में उपवास के अर्थ और उद्देश्य का वर्णन किया गया है:

**हिंदू धर्म**:

उपवास को एक आध्यात्मिक अभ्यास के रूप में देखा जाता है, जो आत्म-अनुशासन, ध्यान और आत्म-शुद्धि के लिए किया जाता है। हिंदू धर्म में विभिन्न पर्व और तिथियों पर उपवास किया जाता है, जैसे कि एकादशी, शिवरात्रि, नवरात्रि, और करवा चौथ। उपवास का उद्देश्य भक्ति को बढ़ावा देना और इंद्रियों पर नियंत्रण स्थापित करना है।

**इस्लाम धर्म**:

इस्लाम में उपवास (रोज़ा) रमज़ान के महीने में किया जाता है, जो इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है। मुसलमान सूर्योदय से सूर्यास्त तक खाना, पीना और अन्य सांसारिक सुख-सुविधाओं से दूर रहते हैं। उपवास का उद्देश्य आत्म-अनुशासन, ईश्वर के प्रति आस्था, और आत्मा की शुद्धि को बढ़ावा देना है।

 **ईसाई धर्म**:

ईसाई धर्म में उपवास का महत्वपूर्ण स्थान है। विशेष रूप से लेंट के दौरान, जो ईस्टर से पहले के 40 दिनों की अवधि होती है। उपवास का उद्देश्य आत्म-शुद्धि, प्रायश्चित, और ईश्वर के साथ संबंध को गहरा करना है। ईसाई उपवास में भोजन और अन्य सुख-सुविधाओं से वंचित रहना शामिल हो सकता है।

**बौद्ध धर्म**:

बौद्ध धर्म में उपवास को ध्यान और आत्म-अनुशासन के एक रूप के रूप में देखा जाता है। बौद्ध साधु प्रातःकाल से मध्याह्न तक भोजन करते हैं और उसके बाद उपवास करते हैं। उपवास का उद्देश्य माया और सांसारिक इच्छाओं से दूरी बनाना और आध्यात्मिक जागृति प्राप्त करना है।

इस प्रकार, उपवास को विभिन्न धर्मों में भिन्न-भिन्न तरीकों से देखा जाता है, लेकिन सभी में इसका उद्देश्य आत्मा को शुद्ध करना और आध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ना है।

अगर आप अपनी सेहत सुधारना चाहते हे तो उपवास का सही तरीका जानिए तथा उसे अपनी जीवन शैली में अपनाइये |

  • “शुरुआत में 12 घंटे का उपवास आजमाएं (रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक)।”
  • “पानी और बिना चीनी की चाय पीते रहें।”
  • “गर्भवती महिलाएं और बीमार लोग डॉक्टर से सलाह लें।”

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