RAM CHALISA

“RAM CHALISA,राम चालीसा”

RAM CHALISA ,राम चालीसा : 

राम चालीसा राम चालीसा भगवान राम को समर्पित चालीस “चौपाई” या भक्तिपूर्ण कविताओं का संदर्भ है। “चालीसा” शब्द हिंदी शब्द “चालीस” से उत्पन्न है, जो कि चालीस का अर्थ होता है; इसलिए भगवान राम के लिए चालीस गाने। राम चालीसा का पाठ एक सामान्य रिवाज़ है जो ज्यादातर हिन्दू परिवारों में होता है जहां नियमित आधार पर भगवान राम की पूजा की जाती है।

                                                                                                        RAM CHALISA

राम चालीसा को पूजा के अंत में पढ़ा जाता है, जिससे पहले रामचरितमानस का पाठ होता है (जो तुलसीदास द्वारा लिखा गया एक प्रसिद्ध महाकाव्य हिंदी कविता है), और फिर राम आरती। राम चालीसा का पाठ करने से यह माना जाता है कि आपके पापों से मुक्ति मिलेगी और आप “मोक्ष” यानी जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति प्राप्त करेंगे। आपको शांति और प्राकृतिक दुनिया के साथ एकता का अनुभव होगा। इसके अलावा, यह माना जाता है कि राम चालीसा का पाठ करने से आपको स्वयं भगवान राम से दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होगा।

 

RAM CHALISA ,राम चालीसा ; 

श्री रघुवीर भक्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥

निशिदिन ध्यान धरै जो कोई। ता सम भक्त और नहिं होई॥

ध्यान धरे शिवजी मन माहीं। ब्रह्म इन्द्र पार नहिं पाहीं॥

दूत तुम्हार वीर हनुमाना। जासु प्रभाव तिहूं पुर जाना॥

तब भुज दण्ड प्रचण्ड कृपाला। रावण मारि सुरन प्रतिपाला॥

तुम अनाथ के नाथ गुंसाई। दीनन के हो सदा सहाई॥

ब्रह्मादिक तव पारन पावैं। सदा ईश तुम्हरो यश गावैं॥

चारिउ वेद भरत हैं साखी। तुम भक्तन की लज्जा राखीं॥

गुण गावत शारद मन माहीं। सुरपति ताको पार न पाहीं॥

नाम तुम्हार लेत जो कोई। ता सम धन्य और नहिं होई॥

राम नाम है अपरम्पारा। चारिहु वेदन जाहि पुकारा॥

गणपति नाम तुम्हारो लीन्हो। तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हो॥

शेष रटत नित नाम तुम्हारा। महि को भार शीश पर धारा॥

फूल समान रहत सो भारा। पाव न कोऊ तुम्हरो पारा॥

भरत नाम तुम्हरो उर धारो। तासों कबहुं न रण में हारो॥

नाम शक्षुहन हृदय प्रकाशा। सुमिरत होत शत्रु कर नाशा॥

लखन तुम्हारे आज्ञाकारी। सदा करत सन्तन रखवारी॥

ताते रण जीते नहिं कोई। युद्घ जुरे यमहूं किन होई॥

महालक्ष्मी धर अवतारा। सब विधि करत पाप को छारा॥

सीता राम पुनीता गायो। भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो॥

घट सों प्रकट भई सो आई। जाको देखत चन्द्र लजाई॥

सो तुमरे नित पांव पलोटत। नवो निद्घि चरणन में लोटत॥

सिद्घि अठारह मंगलकारी। सो तुम पर जावै बलिहारी॥

औरहु जो अनेक प्रभुताई। सो सीतापति तुमहिं बनाई॥

इच्छा ते कोटिन संसारा। रचत न लागत पल की बारा॥

जो तुम्हे चरणन चित लावै। ताकी मुक्ति अवसि हो जावै॥

जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा। नर्गुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा॥

सत्य सत्य जय सत्यव्रत स्वामी। सत्य सनातन अन्तर्यामी॥

सत्य भजन तुम्हरो जो गावै। सो निश्चय चारों फल पावै॥

सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं। तुमने भक्तिहिं सब विधि दीन्हीं॥

सुनहु राम तुम तात हमारे। तुमहिं भरत कुल पूज्य प्रचारे॥

तुमहिं देव कुल देव हमारे। तुम गुरु देव प्राण के प्यारे॥

जो कुछ हो सो तुम ही राजा। जय जय जय प्रभु राखो लाजा॥

राम आत्मा पोषण हारे। जय जय दशरथ राज दुलारे॥

ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा। नमो नमो जय जगपति भूपा॥

धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा। नाम तुम्हार हरत संतापा॥

सत्य शुद्घ देवन मुख गाया। बजी दुन्दुभी शंख बजाया॥

सत्य सत्य तुम सत्य सनातन। तुम ही हो हमरे तन मन धन॥

याको पाठ करे जो कोई। ज्ञान प्रकट ताके उर होई॥

आवागमन मिटै तिहि केरा। सत्य वचन माने शिर मेरा॥

और आस मन में जो होई। मनवांछित फल पावे सोई॥

तीनहुं काल ध्यान जो ल्यावै। तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै॥

साग पत्र सो भोग लगावै। सो नर सकल सिद्घता पावै॥

अन्त समय रघुबरपुर जाई। जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥

श्री हरिदास कहै अरु गावै। सो बैकुण्ठ धाम को पावै॥

॥ दोहा॥

सात दिवस जो नेम कर, पाठ करे चित लाय।

हरिदास हरि कृपा से, अवसि भक्ति को पाय॥

राम चालीसा जो पढ़े, राम चरण चित लाय।

जो इच्छा मन में करै, सकल सिद्घ हो जाय॥

                                                                                       RAM MANTR

 

 

RAM MANTR , राम मंत्र ; 

राम मंत्र

“नीलाम्बुज श्यामल कोमलांग सीता

समरोपित वामभागम् पानौ

महासैखचरूचापम् नमामि रामं रघुवंशनाथम् ||

राम गायत्री मंत्र

“ॐ दशरथाय विद्महे

सीता वल्लभाय धीमहि

तन्नो राम: प्रचोदयात्||

श्लोकी रामायण

“आदि राम तपोवनादि गमनम, हत्वा मृगम् काञ्चनम्,

वैदीहारणम् जटायुमारणम, सुग्रीवसंभाषणम्,

बलिनिर्दलनम् समुद्रतारणम, लंकापुरीदहनम्,

पश्चाद् रावण कुम्भकर्ण हननम्, अयेतधि रामायणम्”||

 

राम नवमी पर उपर्युक्त किसी भी मंत्र का पाठ करने के कुछ लाभ:

यह आपके हृदय को शुद्ध करता है।
यह आपके सभी पापों को धो देता है।
यह आपकी पापी प्रवृत्तियों को दबाता है।
यह आपको प्राकृतिक इच्छाओं में व्यस्त न होने से बचाता है |

प्रभु श्रीराम मंत्र

1. श्रीरामचन्द्राय नम:।

2. रामाय नम:।

3. ह्रीं राम ह्रीं राम।

4. क्लीं राम क्लीं राम।

5. फट् राम फट्।

6. श्रीं राम श्रीं राम।

7. ॐ राम ॐ राम ॐ राम।

8. श्रीराम शरणं मम्।

9. ‘श्री राम जय राम जय जय राम’

10. ॐ रामाय हुं फट् स्वाहा।

RAM
                                                                                                              RAM

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