"विंध्याचल मंदिर में सूर्योदय, भक्त प्रार्थना करते हुए, लाल झंडे और फूलों की मालाएँ।""विंध्याचल मंदिर में सुबह की भक्ति।"

Vindhyeshwari Chalisa: Maa Ki Mahima Aur Power Ka Jadoo

जय माँ विंध्येश्वरी! अगर आप सच्चे भक्त हैं या अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू करना चाहते हैं, तो विंध्येश्वरी चालीसा आपके लिए एक सही रास्ता है। यह 40 छंदों वाला भक्ति भजन माँ विंध्येश्वरी के लिए लिखा गया है, जो विंध्य पर्वत में निवास करती हैं और माँ दुर्गा का एक शक्तिशाली रूप हैं। आइए, इसकी महिमा और महत्व को जानें – सरल हिंदी में, ताकि हर कोई इसे समझ सके!

 

विंध्येश्वरी चालीसा क्या है? (Vindhyeshwari Chalisa)

विंध्येश्वरी चालीसा एक पवित्र प्रार्थना है, जिसमें 40 चौपाइयाँ और दोहे हैं। यह माँ विंध्यवासिनी की दिव्य शक्तियों – जैसे उनकी ताकत, करुणा और सुरक्षा – को दर्शाती है। भक्त इसे गाते हैं ताकि जीवन की बाधाएँ दूर हों और माँ का आशीर्वाद मिले। विंध्याचल मंदिर (उत्तर प्रदेश) में यह बहुत लोकप्रिय है, जो एक प्रमुख शक्ति पीठ माना जाता है।

Vindhyeshwari Chalisa

॥ दोहा ॥
नमो नमो विन्ध्येश्वरी,
नमो नमो जगदम्ब ।
सन्तजनों के काज में,
करती नहीं विलम्ब ॥

जय जय जय विन्ध्याचल रानी।
आदिशक्ति जगविदित भवानी ॥

सिंहवाहिनी जै जगमाता ।
जै जै जै त्रिभुवन सुखदाता ॥

कष्ट निवारण जै जगदेवी ।
जै जै सन्त असुर सुर सेवी ॥

महिमा अमित अपार तुम्हारी ।
शेष सहस मुख वर्णत हारी ॥

दीनन को दु:ख हरत भवानी ।
नहिं देखो तुम सम कोउ दानी ॥

सब कर मनसा पुरवत माता ।
महिमा अमित जगत विख्याता ॥

जो जन ध्यान तुम्हारो लावै ।
सो तुरतहि वांछित फल पावै ॥

तुम्हीं वैष्णवी तुम्हीं रुद्रानी ।
तुम्हीं शारदा अरु ब्रह्मानी ॥

रमा राधिका श्यामा काली ।
तुम्हीं मातु सन्तन प्रतिपाली ॥

उमा माध्वी चण्डी ज्वाला ।
वेगि मोहि पर होहु दयाला ॥ 10

तुम्हीं हिंगलाज महारानी ।
तुम्हीं शीतला अरु विज्ञानी ॥

दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता ।
तुम्हीं लक्ष्मी जग सुख दाता ॥

तुम्हीं जाह्नवी अरु रुद्रानी ।
हे मावती अम्ब निर्वानी ॥

अष्टभुजी वाराहिनि देवा ।
करत विष्णु शिव जाकर सेवा ॥

चौंसट्ठी देवी कल्यानी ।
गौरि मंगला सब गुनखानी ॥

पाटन मुम्बादन्त कुमारी ।
भाद्रिकालि सुनि विनय हमारी ॥

बज्रधारिणी शोक नाशिनी ।
आयु रक्षिनी विन्ध्यवासिनी ॥

जया और विजया वैताली ।
मातु सुगन्धा अरु विकराली ॥

नाम अनन्त तुम्हारि भवानी ।
वरनै किमि मानुष अज्ञानी ॥

जापर कृपा मातु तब होई ।
जो वह करै चाहे मन जोई ॥ 20

कृपा करहु मोपर महारानी ।
सिद्ध करहु अम्बे मम बानी ॥

जो नर धरै मातु कर ध्याना ।
ताकर सदा होय कल्याना ॥

विपति ताहि सपनेहु नाहिं आवै ।
जो देवीकर जाप करावै ॥

जो नर कहँ ऋण होय अपारा ।
सो नर पाठ करै शत बारा ॥

निश्चय ऋण मोचन होई जाई ।
जो नर पाठ करै चित लाई ॥

अस्तुति जो नर पढ़े पढ़अवे ।
या जग में सो बहु सुख पावे ॥

जाको व्याधि सतावे भाई ।
जाप करत सब दूर पराई ॥

जो नर अति बन्दी महँ होई ।
बार हजार पाठ करि सोई ॥

निश्चय बन्दी ते छुट जाई ।
सत्य वचन मम मानहु भाई ॥

जापर जो कछु संकट होई ।
निश्चय देविहिं सुमिरै सोई ॥ 30

जा कहँ पुत्र होय नहिं भाई ।
सो नर या विधि करे उपाई ॥

पाँच वर्ष जो पाठ करावै ।
नौरातन महँ विप्र जिमावै ॥

निश्चय होहिं प्रसन्न भवानी ।
पुत्र देहिं ता कहँ गुणखानी ॥

ध्वजा नारियल आन चढ़ावै ।
विधि समेत पूजन करवावै ॥

नित प्रति पाठ करै मन लाई ।
प्रेम सहित नहिं आन उपाई ॥

यह श्री विन्ध्याचल चालीसा ।
रंक पढ़त होवे अवनीसा ॥

यह जन अचरज मानहु भाई ।
कृपा दृश्टि जापर होइ जाई ॥

जै जै जै जग मातु भवानी ।
कृपा करहु मोहि निज जन जानी ॥ 40

"भक्त पारंपरिक कपड़ों में विंध्येश्वरी चालीसा पढ़ते हुए, दीया जल रहा है।"
चालीसा के साथ माँ की भक्ति में लीन।”

माँ विंध्येश्वरी कौन हैं?

माँ विंध्येश्वरी को विंध्यवासिनी देवी भी कहते हैं, जिसका अर्थ है “विंध्य में रहने वाली।” हिंदू मान्यताओं में, वे आदि शक्ति का रूप हैं और तीन रूपों में प्रकट होती हैं – वैष्णवी, रुद्राणी और लक्ष्मी। उनका वाहन शेर है, जो उनकी अपराजेय शक्त को दिखाता है। विंध्याचल में उनका मंदिर सदियों से भक्तों का केंद्र रहा है, जहाँ लोग “कष्ट निवारण” और “सुख-समृद्धि” के लिए आते हैं।

 

विंध्येश्वरी चालीसा क्यों पढ़ें?

  • आध्यात्मिक शक्ति: इसे पढ़ने से मन को शांति मिलती है और आत्मा मजबूत होती है।
  • समस्या समाधान: जीवन में परेशानियाँ? इस मंत्र से बाधाएँ दूर हो जाती हैं।
  • त्योहारों में खास: नवरात्रि या दुर्गा पूजा में इसे गाना बहुत शुभ माना जाता है।
  • आसान उपलब्धता: आजकल यह PDF, ऑडियो और YouTube पर मिलती है – बस शुरू करें और भक्ति में डूब जाएँ!
माँ विंध्येश्वरी की मूर्ति के सामने पूजा, दीया, अगरबत्ती और चालीसा की किताब।"
“पारंपरिक पूजा का शांत माहौल।”

इसे कैसे शुरू करें?

  • पहला कदम: एक साफ जगह पर बैठें, माँ की तस्वीर या मूर्ति रखें।
  • दूसरा कदम: दीया जलाएँ, गहरी साँस लें और “जय माँ विंध्येश्वरी” बोलें।
  • तीसरा कदम: चालीसा पढ़ें या सुनें – पूरी श्रद्धा के साथ।
    रोज़ 10-15 मिनट इसे दें, और देखें जीवन में सकारात्मक बदलाव!

अंतिम विचार

विंध्येश्वरी चालीसा सिर्फ एक प्रार्थना नहीं, बल्कि माँ से दिल से जुड़ने का एक तरीका है। इसके हर छंद में शक्ति भरी है, जो आपको प्रेरित करेगी। तो आज ही शुरू करें – “जय माँ विंध्येश्वरी” बोलें और अपनी आध्यात्मिक यात्रा को नई ऊँचाइयों तक ले जाएँ!

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