INDIA’S GDP GROWTH :
भारत की जीडीपी तीसरे तिमाही में , 8.4% तक वृद्धि दर्ज की गई है; FY24 अनुमान 7.6% पर परिभाषित किया गया है।
भारत की जीडीपी वृद्धि: सारे अनुमान गलत, एसबीआई ने कहा – भारत की जीडीपी ग्रोथ के आंकड़ों ने सभी को चौंकाया। स्टेट बैंक ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट “इकोरैप” में कहा कि तीसरी तिमाही के जीडीपी ग्रोथ के आंकड़ों ने ज्यादातर लोगों के अनुमानों को गलत साबित किया है, जिनका मानना था कि भारत की आर्थिक तरक्की की रफ्तार 8 फीसदी से कम हो सकती है। इससे स्पष्ट होता है कि यदि नीतिगत दृष्टिकोण सही हो, तो मुश्किलों को दूर करके तरक्की की गति को तेज किया जा सकता है।
पिछले कुछ समय में भारत ने अपनी आर्थिक तरक्की की गति को काफी तेज किया है। इस संदर्भ में, स्टेट बैंक (एसबीआई) का कहना है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि 8 फीसदी के करीब पहुंच सकती है। इसके एक दिन पहले, सरकार ने दिसंबर तिमाही में 8.4 फीसदी की ग्रोथ के आंकड़े जारी किए थे। साथ ही, आने वाले दो तिमाहियों के लिए ग्रोथ की अनुमानित दर को संशोधित करके उन्हें बढ़ाया गया है।
स्टेट बैंक ने बताया कि सभी अनुमानों को ध्यान में रखते हुए, भारत ने पिछली दो तिमाहियों में 8 प्रतिशत से अधिक की ग्रोथ दर्ज की, और 2023-24 की तीसरी तिमाही में इसे 8.4 प्रतिशत तक पहुंचा दिया। इंडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में सालाना आधार पर 32 फीसदी की भारी उछाल आया। वहीं, ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (जीडीपी) और ग्रॉस वैल्यू एडेड (जीवीए) ग्रोथ के बीच अंतर भी बढ़ गया।
एसबीआई की अध्ययन के अनुसार, ‘वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जीडीपी ग्रोथ 7.6 और जीवीए ग्रोथ 6.9 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। हमारा अनुमान है कि चौथी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 5.9 रहेगी। अब हमारा मानना है कि इसे कम करके आंका गया है। ऐसे में हम कह सकते हैं कि वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी ग्रोथ 8 फीसद के करीब रह सकती है।’
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने इस वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी अनुमान को संशोधित करके क्रमशः 7.8 प्रतिशत और 7.6 प्रतिशत से 8.2 और 8.1 प्रतिशत कर दिया है। इन संशोधनों के साथ अप्रैल-दिसंबर के दौरान जीडीपी ग्रोथ रेट 8.2 प्रतिशत हो गई है।
एसबीआई की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सरकार सभी नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की कोशिश कर रही है। साथ ही, उसका उद्देश्य डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) की खामियों को दूर करना है। इसकी बदौलत पहली बार मौजूदा कीमतों पर प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 2023-24 में 2 लाख रुपये को पार कर गया है। स्थिर कीमतों में भी मौजूदा वित्त वर्ष में प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 1.24 लाख रुपये हो गई है।